1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के महानायक शहीद धन सिंह कोतवाल की जयंती के उपलक्ष्य में गुरुवार को विश्वविद्यालय परिसर में “मेरठ परिक्षेत्र में 1857 की क्रांति” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने की।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सोमेंद्र तोमर (ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार), विशिष्ट अतिथि सुशील पवार, न्यू जर्सी (सचिव, अंतरराष्ट्रीय गुर्जर समिति), कुलानुशासक प्रोफेसर बीरपाल, प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता (अध्यक्ष, साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद), समन्वयक प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा, कार्यक्रम संयोजक डॉ. धर्मेंद्र कुमार, प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता, कुलसचिव डॉक्टर अनिल कुमार यादव सहित अनेक विद्वान एवं सम्मानित अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि शहीद धन सिंह कोतवाल 1857 के विद्रोह में मेरठ के वास्तविक नायक थे, जिनके योगदान को इतिहास ने उतनी प्रमुखता नहीं दी, जितनी दी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि ऐसे महान नायकों के बलिदान से ही स्वतंत्रता के बीज अंकुरित हुए और हमें उनके योगदान से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
मुख्य अतिथि डॉ. सोमेंद्र तोमर ने कहा कि जाति या समुदाय से ऊपर उठकर मातृभूमि की सेवा करना प्रत्येक भारतीय का सर्वोच्च कर्तव्य है। उन्होंने शहीद धन सिंह कोतवाल को देश के उन वीरों में स्थान दिया जिन्होंने न सिर्फ विद्रोह की अगुवाई की बल्कि अपने प्राणों की आहुति देकर स्वाधीनता की अलख जगाई।
विशिष्ट अतिथि न्यू जर्सी से आए सुशील पंवार ने कहा कि प्रवासी भारतीय होने के बावजूद उन्होंने सदैव अपने समुदाय और मातृभूमि के हितों को सर्वोपरि रखा है। उन्होंने आश्वस्त किया कि देशहित के किसी भी कार्य में प्रवासी भारतीय सदैव कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा ने कहा कि 10 मई 1857 की रात मेरठ से विद्रोही सैनिक दिल्ली पहुंचे और अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय को नेतृत्व सौंपा।
मेरठ में स्थानीय नेतृत्व की जिम्मेदारी धन सिंह कोतवाल को दी गई, क्योंकि विद्रोह के समय कोतवाली की चाबियाँ उनके पास थीं, जिससे वे रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। 1857 की क्रांति में शहीद धन सिंह कोतवाल का योगदान अनुपम और अविस्मरणीय है। मेरठ पुलिस प्रशिक्षण अकादमी का नाम उनके नाम पर रखा जाना उनके बलिदान और साहस की अमर गाथा को सम्मानित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मंच का संचालन अनुज बैंसला ने किया तथा कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।