चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के गणित विभाग द्वारा “Artificial Intelligence Frontiers: Innovations in Fuzzy Optimization, Cyber Security and Simulation” विषय पर 5 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला (2-6 दिसम्बर ) का शुभारंभ मंगलवार को विश्वविद्यालय के अटल सभागार में किया गया। यह कार्यशाला डीआरडीओ, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा उच्च स्तरीय संगणनात्मक तकनीकों में नवीन उभरते आयामों पर विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के मध्य सार्थक संवाद स्थापित करना है।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 10:00 बजे सरस्वती वंदना से हुआ। इसके उपरांत विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. जयमाला ने स्वागत भाषण दिया। कार्यशाला की रूपरेखा एवं उद्देश्य प्रो. एम. के. शर्मा, अध्यक्ष, द्वारा प्रस्तुत किए गए। प्रो. मुकेश कुमार शर्मा ने बताया कि 2 dec से 6 dec तक कुल 25 तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों में IIT, NIT, ISI, Doon University केन्द्रीय विश्विद्या लयो DRDO के वैज्ञानिक industry के experts द्वारा व्याख्यान दिए जाएंगे।
प्रो. बीर पाल सिंह, निदेशक, शोध एवं विकास, ने बहु-विषयक AI अनुसंधान की बढ़ती आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जबकि प्रो. संजीव कुमार शर्मा, निदेशक अकादमिक ने आधुनिक शिक्षा में उन्नत तकनीकी उपकरणों की उपयोगिता पर जोर दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि (Guest of Honour) डॉ. शिव कुमार शर्मा (नेशनल ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी, विवेका/ VIBHA, नई दिल्ली) ने भारत में तेजी से विकसित हो रहे AI परिदृश्य तथा अकादमिक–औद्योगिक सहयोग की आवश्यकता पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि आज के समय में AI केवल विज्ञान तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह व्याख्यात्मक, सामान्य ज्ञान, रचनात्मक और नैतिक निर्णय लेने में भी मदद करता है। इन्होंने एथेनॉल के श्रोत जैसे (परली और चुकंदर) के बारे में बताया। इन्होंने मस्तिष्क के कार्यों के बारे में बताया जो कि पूर्णतः व्यक्ति के action and feelings के अनुसार कार्य करता है।
उन्होंने बताया कि हम AI का उसे करते करते अपनी कार्य करने की क्षमता को खोते जा रहे है। इनके पश्चात मुख्य अतिथि एवं IUAC, नई दिल्ली के निदेशक प्रो. अविनाश चंद्र पांडेय ने अपने मुख्य भाषण में नवाचार-आधारित शोध की अनिवार्यता तथा वैज्ञानिक और रक्षा क्षेत्रों में AI की परिवर्तनकारी भूमिका पर विस्तृत चर्चा की।